कुछ करना है, तो डटकर चल,
थोड़ा दुनिया से हटकर चल,
लीक पर तो सभी चल लेते है,
कभी इतिहास को पलटकर चल.
"भगवान के अवतार"
----------------------
दर्पण जब चेहरे पर दाग दिखाता है, तो क्या हम दर्पण तोड़ देते हैं, नहीं हम उस दाग को साफ़ करके अपने को निखारते हैं, उसी प्रकार जब कोई हमें हमारी कमी गिनाता है तो क्या हम क्रोध कर, उससे सम्बन्ध तोड़ दें या फिर अपनी कमियों को दूर करके अपने को निखारें. सोच है हमारी, आखिर व्यक्तित्व है हमारा.
"धन्य मानिये अपने को, जो हमारी जिंदगी में कमियां बताने वाले कुछ लोग होते हैं."
जिस प्रकार अर्जुन के कई बार निराश होने पर श्री कृष्ण अर्जुन की गलतियां भी बताते हैं और उनको दूर करने का तरीका भी बताते हैं, तो क्या अर्जुन ने श्री कृष्ण से रिश्ते तोड़ लिए, नहीं, अर्जुन ने अपने को संवारा, निखारा. मित्रों उस वक़्त श्री कृष्ण अर्जुन के सार्थी की भूमिका में थे. उस वक़्त उपदेश देने का उनका मकसद भी यही रहा होगा की "एक इंसान ही दूसरे इंसान" का हौसला बढ़ाता है. मित्रों क्या इसी प्रकार क्योँ न हम भी अपनी जिंदगी में कमी बताने वालों को "भगवान का अवतार" मान लें और उन कमियों को दूर कर हंसी ख़ुशी और सुखपूर्ण जिंदगी जियें.
"सोच को बदलो सितारे बदल जायेंगे,
नज़र को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे."
मित्रों एक बात हम सब सोचें "कौन है भगवान, कहाँ हैं भगवान, कैसे दिखते हैं भगवान, कहाँ दिखे भगवान, किसको दिखे भगवान ????" ये बहुत सारे प्रश्न हैं जो हमेशा हम इंसानी मन को व्यथित करते रहते हैं.
इसलिए मित्रों क्या अपनी जिंदगी में "कमी बताने वाले ही कहीं अप्रत्यक्ष रूप से भगवान के भेजे हुए लोग" तो नहीं.
सोचिये जब हम लोग कुछ बन जाते हैं तो क्या हम अपने माता पिता, गुरुजनों या अन्य दूसरे लोगों को धन्यवाद नहीं करते "जिन्होंने भी हमें वक़्त बेवक़्त हमारा कुछ भी मार्गदर्शन किया हो या हमारी कमियाँ बताई हो."
(सोचिये सोचिये - उस वक़्त जब कोई हमें हमारी कमी बता रहा होता है तो "उस समय" हमारी कमी बताने वाले के लिए हमारे मन में कई बार गुस्सा भी आता है और यहाँ तक की बहुत बार तो हम बहस, झगड़ा और गाली गलोच भी कर बैठते हैं, पर जब हम कुछ बन जाते हैं तो फिर हम सोचते हैं की "हाँ अच्छा हुआ उस बन्दे ने उस वक़्त हमें हमारी कमी बता दी थी, जिसको हमने उसके बाद ठीक भी कर लिया" और उसी वजह से हम आज की तारीख में इस position में हैं, पर क्या हम पुराना रिश्ता वापस ला पाते हैं, ये एक सोच का विषय है.)
मित्रों मान कर चलिए तारीफ करने वाले हमारे साथ तो चलते हैं पर सोच कर देखिये "कमी निकालने वालों की वजह से ही हम अपनी जिंदगी में बढ़ते है".
इसलिए मित्रों जब कभी भी कोई हमारी जिंदगी में हमारी कमी निकलने वाला आये तो हमें प्रेम पूर्वक "अपनी कमियां सुननी चाहिए" और फिर "उस पर अमल करते हुए अपने को निखारना चाहिए."
✨ *जीत पक्की है* ✨
कुछ करना है, तो डटकर चल।
*थोड़ा दुनियां से हटकर चल*।
लीक पर तो सभी चल लेते है,
*कभी इतिहास को पलटकर चल*।
बिना काम के मुकाम कैसा?
*बिना मेहनत के, दाम कैसा*?
जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल
*तो राह में, राही आराम कैसा*?
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
*ना कोई बहाना रख*।
जो लक्ष्य सामने है,
बस उसी पे अपना ठिकाना रख।
*सोच मत, साकार कर*,
अपने कर्मो से प्यार कर।
*मिलेंगा तेरी मेहनत का फल*,
किसी और का ना इंतज़ार कर।
*जो चले थे अकेले*
*उनके पीछे आज मेले हैं*।
जो करते रहे इंतज़ार उनकी
जिंदगी में आज भी झमेले है!
जय हिन्द
जय भारत
0 comments:
Post a Comment