🌻सुखमय जीवन चाहिए तो इन पर भूलकर भी ना करें विश्वास- हितोपदेश से जानिए🌻

🌻गंगाजी के पावन तट पर गिद्धौर नामक के एक पर्वत पर एक बहुत बड़ा पीपल का पेड़ था। उसके खोखले भाग में जरदगव नाम का एक बूढ़ा गिद्ध रहता था। उसकी आँखों की ज्योति और नखों की तेजी ख़त्म हो गयी थी। उसी पेड़ पर कुछ और पक्षी भी रहते थे जो अपने भोजन में से थोड़ा-थोड़ा उसे दे देते थे, जिसे खाकर वह जिन्दा रहता था और बदले में वह उन चिड़ियों के बच्चों की रक्षा करता था।

एकदिन दीर्घकर्ण नामक एक बिलाव उन बच्चों को खाने के उद्देश्य से वहाँ आया। उसे देखकर पक्षियों के बच्चों ने डर कर हल्ला करना शुरू कर दिया। यह सुनकर गिद्धने जोर से  कहा," कौन आ रहा है?" 


गिद्ध को देखकर बिलाव भी भयभीत हो गया। उसे लगा कि उसे तो वह मार डालेगा। लेकिन वह चालाक था।

उसने सोचा कि मैं इस गिद्ध के बहुत नजदीक हूँ, अतः भागने पर भी इससे बचना मुश्किल है। इसलिए धैर्य से काम लेते हुए उसने कहा "पक्षिराज! मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए।" फिर गिद्ध से परिचय पूछे जाने पर उसने कहा, "महाराज, मैं हिंसक जीव के रूप में कुख्यात एक महापापी बिलाव हूँ। " 

यह सुनते ही गिद्ध ने उसे जान से मारने की धमकी देते हुए वहाँ से भाग जाने को कहा। लेकिन बिलाव तो घाट-घाट का पानी पीये हुए था। उसने कहा, "पक्षिराज! पहले मेरी बातों को सुन लीजिये और उसके बाद भी आपको लगे तो कृपाकर मुझे मार दीजिये, जिससे कि आप जैसे पुण्यात्मा के हाथों मरने का हमें सौभाग्य मिल सके। मैं इस गंगाजी के तट पर रहकर चान्द्रायण व्रत करते हुए आपके समीप रहना चाहता हूँ, जिससे कि आप के पवित्र मुख से धार्मिक उपदेशों को सुनकर अपना जीवन और मरण दोनों सफल कर सकूँ ।"

गिद्ध उसकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गया और उसे एक धार्मिक समझ कर उसपर विश्वास करके अपने साथ रहने की अनुमति दे दी। फिर क्या था।  बिलाव के तो पाव बारह हो गए। वह शीघ्र ही चिड़ियों के बच्चों को मारकर गिद्ध के पास ला-लाकर खाने लगा। खाने के समय उसके मुँह की आवाज को सुनकर यदि गिद्ध उसके बारे में पूछे तो वह कह दे कि जप करने के कारण यह आवाज आ रही है। अँधा गिद्ध बेचारा विश्वास करले।


पक्षी सब जब वापस आये तो उनहोंने बच्चों को नहीं पाकर उनकी खोज की। वे तो उन्हें नहीं मिले किन्तु गिद्ध के रहने की जगह पर उनहोंने बहुत सी हड्डियाँ देखी। उन्हें लगा कि यही गिद्ध उनके बच्चों को मारकर खा जाता है। फिर क्या था, उन्होंने उसे नमकहराम समझकर मार डाला। उस अनजान बिलाव पर विश्वास करने के कारण बेचारा गिद्ध व्यर्थ ही मारा गया । 

इसीलिए कहा गया है कि अज्ञात व्यक्ति, जीव या वस्तु पर झट विश्वास कर लेने से उपरोक्त गिद्ध के सदृश्य अपनी भी गति नहीं हो, इसका सदैव ही ध्यान रखना चहिये।

🙏ज्ञान बाटने से बढ़ता है। कथाएं अच्छी लगें तो शेयर अवश्य करें.

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