ज़मीर ज़िंदा रख, कबीर ज़िंदा रख.
सुल्तान भी बन जाए तो, दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख..!
हौसले के तरकश में, कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख..
हार जा चाहे जिन्दगी मे सब कुछ, मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रख..!
सुल्तान भी बन जाए तो, दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख..!
हौसले के तरकश में, कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख..
हार जा चाहे जिन्दगी मे सब कुछ, मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रख..!
क्या हमें ये पता है कि हमारे सभी पूर्वज - भगवान राम, भगवान कृष्ण, आचार्य चाणक्य आदि कितने बड़े मैनेजमेंट गुरु थे, वे कितने बड़े लीडर थे ?
-----------------------
-----------------------
बात करते हैं श्री राम की .....
(मित्रों निवेदन है इस article को किसी जाति विशेष से न जोडें. अपनी उन्नति के लिए ज्ञान कही से भी मिले, कृपया लेते रहें.)
👉 (1) दृष्टि (VISION)
किसी भी लीडर के लिए सबसे जरूरी गुण होता है - विजन. श्री राम का विजन स्पष्ट था. वे एक ऐसा राज्य चाहते थे जिसमें प्रजा को कोई कष्ट न हो. उनका मानना था कि "प्रजा के दुख" की सजा" - "राजा या शासक" को मिलनी चाहिए.
👉 (2) मूल्य (VALUES)
विजन क्लीयर होने के बाद लीडर को तय करना होता है कि वह किन मूल्यों के सहारे इस विजन को कार्यरूप देना चाहता है. श्री राम का तो पूरा जीवन ही मूल्यों का समूह लगता है. माता-पिता की आज्ञा का पालन, प्रजा की देखभाल, दीन-दलित का उद्धार जैसे तमाम मूल्य.
👉 (3) रणनीति (STRATEGY) भगवान राम चाहते तो अकेले ही लंका विजय कर सकते थे. लेकिन लंका विजय तक उन्होंने "अपने दल के हर सदस्य की क्षमता" का पूरा-पूरा उपयोग करने की रणनीति बनाई, जैसे लक्षमण जी, हनुमान जी, सुग्रीव इत्यादि.
👉 (4) प्रोत्साहन (MOTIVATION) हमेशा अपनी दूसरी पंक्ति के व्यक्तियों को प्रोत्साहित करें. मित्रों मान कर चलिए हमारी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि हम लीडर बनाते हैं या अनुयायी (Follower). किसी भी लीडर की सफलता "सिर्फ और सिर्फ" इस बात पर निर्भर करती है कि "वह अपने लोगों" को कितना मोटिवेट कर पाता है. श्री राम ही नहीं, उनके दल की "द्वितीय पंक्ति के लीडर" भी मोटिवेशन के महत्व को समझते हैं. हनुमान जी समय समय पर अपनी शक्ति को भूल जाते थे. तब जामवंत उन्हें उनकी क्षमताओं का एहसास कराते हैं.
👉 (5) श्रेय (CREDIT) महान लीडर वह होता है जो अभियान की सफलता का श्रेय "खुद लेने के बजाय अपनी टीम के सदस्यों", जी हाँ "अपनी टीम के सदस्यों" को देता है. लंका विजय के बाद उन्होंने कितनी सहजता से अपनी जीत का श्रेय गुरू वशिष्ठ की कृपा और वानर भालुओं की सेना को दे दिया.
Also Read:
Also Read:
किसी ने बिलकुल सही कहा है :-
ज़मीर ज़िंदा रख, कबीर ज़िंदा रख..
सुल्तान भी बन जाए तो, दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख..!
हौसले के तरकश में, कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख..
हार जा चाहे जिन्दगी मे सब कुछ, मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रख..!
सुल्तान भी बन जाए तो, दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख..!
हौसले के तरकश में, कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख..
हार जा चाहे जिन्दगी मे सब कुछ, मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रख..!
Please Share...
0 comments:
Post a Comment